शिमला में सीटू (CITU) और अन्य वामपंथी संगठनों ने किसानों-मजदूरों के राष्ट्रव्यापी आह्वान पर एक विशाल रैली निकाली। यह प्रदर्शन केंद्र सरकार की कथित मजदूर-विरोधी नीतियों और चार लेबर कोड के विरोध में किया गया। प्रदर्शनकारियों ने मोदी सरकार से चार लेबर कोड वापस लेने, मजदूरों-किसानों के आर्थिक अधिकारों को बहाल करने और न्यूनतम वेतन बढ़ाने की मांग की। इस दौरान, डीसी के माध्यम से राष्ट्रपति को 11 सूत्रीय मांग पत्र भेजा गया। पंचायत भवन से डीसी ऑफिस तक रोष रैली इससे पहले- पंचायत भवन से डीसी ऑफिस तक रोष रैली निकाली गई। इसमें बड़ी संख्या में मजदूरों ने केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। रैली में सीटू, हिमाचल किसान सभा और हिमाचल सेब उत्पादक संघ के कार्यकर्ता शामिल थे। शिमला के अलावा भी कई जिलों व ब्लाक स्तर पर मजदूरों ने किसानों-बागवानों के साथ मिलकर प्रदर्शन किए। प्रदर्शनकारियों की प्रमुख मांगे इन प्रमुख मांगों में चार लेबर कोड को वापस लेना, न्यूनतम मासिक वेतन 26 हजार रुपए तय करना, मनरेगा में 200 दिन का काम और 500 रुपए दैनिक मजदूरी सुनिश्चित करना शामिल था। इसके अतिरिक्त, सभी स्कीम, आउटसोर्स और अन्य कर्मियों को स्थायी करने की मांग भी उठाई गई। सभी फसलों को मांगा MSP अन्य मांगों में सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) घोषित करना, किसानों की जमीन की बेदखली रोकना और खेती के लिए 5 बीघा जमीन सुनिश्चित करना, आपदा प्रभावितों व विस्थापितों का पुनर्वास करना और अमेरिका के 50% टैरिफ का विरोध करना शामिल था। प्रदर्शनकारियों ने सार्वजनिक सेवाओं के निजीकरण और बिजली में स्मार्ट मीटर लगाने पर रोक लगाने, अनुसूचित जाति/जनजाति व महिलाओं के खिलाफ अत्याचार और भेदभाव रोकने, तथा दूध उत्पादकों को हर महीने समर्थन मूल्य के अनुसार भुगतान सुनिश्चित करने की भी मांग की। केंद्र सरकार मजदूरों-किसानों के अधिकार छीन रही: मेहरा रैली को संबोधित करते हुए सीटू प्रदेश अध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने कहा कि केंद्र सरकार लगातार मजदूरों-किसानों के अधिकार छीनने वाले फैसले ले रही है। उन्होंने चार लेबर कोड को मजदूरों को असुरक्षित बनाने की साजिश बताया और इन्हें किसी भी कीमत पर लागू न होने देने की बात कही। मेहरा ने कहा कि सरकार न्यूनतम वेतन, रोजगार सुरक्षा, मनरेगा में काम के दिन और एमएसपी जैसी बुनियादी मांगों को नजरअंदाज कर कॉर्पोरेट-हितैषी नीतियां थोप रही है। उन्होंने चेतावनी दी कि इन नीतियों के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर संघर्ष तेज किया जाएगा। रैली समाप्त होने पर संगठनों ने सामूहिक रूप से डीसी कार्यालय में ज्ञापन जमा करवाया और मांगें पूरी न होने पर आंदोलन को और व्यापक करने की चेतावनी दी।