हिमाचल प्रदेश में चार महीने से मुख्य सूचना आयुक्त (CIC) और सूचना आयुक्त (IC) दोनों नहीं है। इनके बगैर, सूचना आयोग सफेद हाथी साबित हो रहा है। ‘राइट टू इनफॉर्मेशन’ (RTI) एक्ट के तहत आयोग के पास अब अपीलों के ढेर लग गए हैं। मगर इनकी सुनवाई करने वाला कोई नहीं है। कांग्रेस ने एक सप्ताह पहले देशभर में मोदी सरकार पर RTI को कमजोर करने के आरोप जड़े और हिमाचल में खुद सत्तारूढ़ कांग्रेस चार महीने से अधिक समय से सीआईसी और आईसी की तैनाती नहीं कर पाई। इससे, सूचना आयोग के पास आरटीआई के तहत जानकारी नहीं देने की लगभग एक हजार अपील पेंडिंग हो गई है। हिमाचल के पूर्व आईसी केडी बातिश ने बताया- सीआईसी और आईसी न लगाकर सरकार RTI को कमजोर कर रही है। उन्होंने कहा- हिमाचल के पूर्व CIC भीमसेन ने बताया- पूर्व में यदि CIC नहीं रहा तो IC जरूर होता था। दोनों में से एक जरूर रहा है, लेकिन अभी दोनों नहीं है। इनके बगैर अपील की सुनवाई संभव नहीं है। नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए CIC-IC दोनों की जल्द नियुक्ति होनी चाहिए। 4 प्वाइंट में समझे क्यों जरूरी है CIS-IC हिमाचल में कब से और क्यों खाली पड़ी सीआईसी-आईसी के पद हिमाचल में पूर्व आईएएस अधिकारी एसएस गुलेरिया आईसी थे और आरडी धीमान सीआईसी थे। एसएस गुलेरिया 3 जुलाई को रिटायर हो गए। इसके बाद से सरकार नया आईसी नहीं लग पाई। इसी तरह जुलाई में ही पूर्व सीआईसी आरडी धीमान रेरा (रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण) चेयरमैन लगाए गए। तब से लेकर सीआईसी का पद भी खाली पड़ा है। 22 दावेदारों ने कर रखा आवेदन एडमिनिस्ट्रेटिव रिफॉर्म डिपार्टमेंट ने बीते 28 जून को ही सीआईसी और आईसी के लिए पात्र लोगों से आवेदन मांग रखे हैं। विभागीय सूत्रों के अनुसार, लगभग 22 लोगों ने इनके लिए आवेदन कर रखा है। इसके बाद, एडमिनिस्ट्रेटिव रिफॉर्म डिपार्टमेंट ने भी सरकार को इनकी तैनाती के लिए फाइल भेज रखी है। मगर सरकार ने अब तक तैनाती नहीं की। कौन बन सकता है सीआईसी और आईसी? मुख्य सूचना आयुक्त (CIC) और सूचना आयुक्त (IC) बनने के लिए व्यक्ति को सार्वजनिक जीवन में प्रतिष्ठित व्यक्ति होना चाहिए, जिसके पास विधि, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, समाज सेवा, प्रबंधन, पत्रकारिता, जनसंचार माध्यम या प्रशासन और शासन जैसे क्षेत्रों में व्यापक ज्ञान और अनुभव हो। यह व्यक्ति संसद या राज्य विधानमंडल का सदस्य नहीं हो सकता है।