हिमाचल प्रदेश के शिमला जिला के रोहड़ू में कथित प्रताड़ना के बाद 12 साल के बच्चे की आत्महत्या मामले में पुलिस के जांच अधिकारी एएसआई मंजीत पर गाज गिरी है। हिमाचल प्रदेश अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष कुलदीप कुमार ने एएसआई मंजीत को सस्पेंड करने के आदेश दिए। उन्होंने डीएसपी रोहड़ू की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाते हुए एक्सप्लेनेशन मांगा है। कुलदीप कुमार ने लिंमड़ा गांव में नाबालिग बच्चे की मौत मामले को लेकर आज रोहड़ू रेस्ट हाउस में स्थानीय प्रशासन से इस मामले की रिपोर्ट तलब की। उन्होंने कहा कि पुलिस की अब तक की जांच संतोषजनक नहीं पाई गई। पुलिस की शुरुआती जांच में ही मामले में ढील बरती गई। जब 20 सितंबर को एफआईआर दर्ज की गई तो मामला अनुसूचित जाति एवं जनजाति अधिनियम 1989 की धाराओं के साथ दर्ज नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि मामले की जांच कर रहे जांच अधिकारी ने जांच को सही ढंग से नहीं किया। उन्होंने पीड़ित परिवार के सदस्यों की सुरक्षा को खतरा बताते हुए उन्हें सुरक्षा मुहैया करवाने के निर्देश दिए। अछूत कहने की शिकायत के बाद भी एट्रोसिटी एक्ट नहीं लगा कुलदीप कुमार ने कहा कि पीड़ित परिवार की ओर से पुलिस को दी शिकायत में बच्चे के घर में प्रवेश करने पर अछूत बताने और घर की शुद्धि के लिए पिता से बकरे देने का जिक्र किया गया है। पुलिस ने फिर भी अनुसूचित जाति और जनजाति अधिनियम मामला दर्ज नहीं किया। मामला जब हाईकोर्ट पहुंचा तो उसके बाद अधिनियम की धाराओं के तहत मामले को दर्ज किया गया। इसके बावजूद भी पुलिस आरोपित महिला को गिरफ्तार ही नहीं कर पाई। डीएसपी रोहड़ू ने तय समय में रिपोर्ट नहीं दी: कुलदीप कुलदीप ने कहा- जब से यह मामला ध्यान में आया है तब से आयोग पूरे मामले पर निगरानी कर रहा है। 1 अक्टूबर को इस मामले को लेकर एसडीपीओ रोहड़ू से तीन दिनों के भीतर रिपोर्ट तलब की गई थी लेकिन उन्होंने रिपोर्ट निर्धारित समय में नहीं दी। 14 अक्टूबर 2025 को डीजीपी कार्यालय से आयोग को रिपोर्ट प्राप्त हुई है। आयोग के आदेशों पर स्थानीय पुलिस ने ढुलमुल रवैया अपनाया है। एससी लोगों के अधिकारों की रक्षा करना लक्ष्य: कुलदीप आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि अनुसूचित आयोग का लक्ष्य दलित पिछड़े वर्ग के लोगों के अधिकारों की रक्षा करना है। समाज में जिन लोगों के अधिकारों का शोषण किया जाता है उन्हें न्याय दिलवाना आयोग का लक्ष्य है। आज पूरे देश में यह प्रकरण ज्वलंत विषय बना हुआ है। ऐसे में तीव्रता से मामले में निष्पक्ष जांच के लिए आयोग प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले पर प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू नजर बनाए हुए हैं और उन्होंने ही निर्देश दिए थे कि आयोग पीड़ित परिवार से मिले और हर संभव सहायता प्रदान करने में अपनी भूमिका निभाए।

Spread the love