हिमाचल प्रदेश में पंचायत चुनाव को लेकर सस्पेंस बना हुआ है। मुख्य सचिव संजय गुप्ता के आदेशों के हिसाब से चुनाव आपदा से खराब हुए हालात सुधरने के बाद होंगे, जबकि पंचायतीराज मंत्री ताल ठोक कर रहे हैं कि चुनाव तय समय पर करवाए जाएंगे। अफसरशाही के मुखिया के ऑर्डर और मंत्री के विरोधाभासी बयान की वजह से अजीब सी स्थिति उत्पन्न हो गई है। इस बीच यह चर्चा शुरू हो गई है कि चुनाव स्थगित करना क्या सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है या नहीं? क्योंकि पंचायत चुनाव करवाना व नहीं करवाना स्टेट इलेक्शन का काम है। मगर राज्य में स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट लागू है। इसका हवाला देते हुए, संजय गुप्ता ने स्टेट एग्जीक्यूटिव कमेटी ऑफ डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के चेयरमैन के तौर पर हालात सामान्य होने के बाद चुनाव कराने के ऑर्डर जारी किया है। इस पर, हिमाचल हाईकोर्ट के एडवोकेट संजीव भूषण ने कहा- राज्य सरकार डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट की आढ़ में चुनाव नहीं टाल सकती। स्टेट इलेक्शन कमिश्नर ने भी साफ कहा कि चुनाव का फैसला लेने कमीशन के क्षेत्राधिकार में आता है। चुनाव कराना या टालना कमीशन का काम: अनिल खाची स्टेट इलेक्शन कमिश्नर अनिल खाची ने कहा- जहां तक आपदा की बात है तो कमीशन जबरदस्ती नहीं करेगा, लेकिन कमीशन यह भी जानना चाहेगा कि चुनाव कल तो है नहीं है। अभी दो से तीन महीने है। क्या ये आपदा की स्थिति दो-तीन महीने तक रहेगी? आज की डेट में गांव में आंगनबाड़ी वर्कर, आशा वर्कर, मिड डे मील का खाना जा रहा है तो इसका मतलब यह नहीं कि परिस्थिति इतनी भयंकर है। मंडी के सराज में बहुत डैमेज हुआ है। इसका मतलब यह नहीं कि पूरे मंडी में ये हालात है। मंत्री अनिरुद्ध बोले- बीजेपी का काम शोर मचाना राज्य में पंचायत चुनाव टालने को लेकर सियासी संग्राम छिड़ गया है। BJP, सत्तारूढ़ कांग्रेस पर हमलावर है और सरकार पर हार के डर से भागने के आरोप लगा रही है। वहीं मुख्य सचिव के ऑर्डर के बावजूद पंचायतीराज मंत्री कह रहे हैं पंचायत चुनाव को कोई नहीं टाल रहा। बीजेपी का काम शोर मचाना है। इनकी बातों पर ध्यान देने की जरूरत नहीं है। मुख्य सचिव के ऑर्डर सामने आने के बाद सियासी संग्राम छिड़ा बता दें कि 8 अक्टूबर को मुख्य सचिव ने 4 जिलों के डीसी को एक पत्र लिखा। इसमें आपदा से उपजे हालात का तर्क देते हुए। हालात सामान्य होने के बाद चुनाव कराने की बात कही गई। मुख्य सचिव के ऑर्डर सामने आते ही हिमाचल में सियासी संग्राम शुरू हो गया। इससे पहले कुछ जिलों के डीसी के पत्र भी सामने आए। इनमें भी चुनाव टालने की बात कही गई। इसके बाद से भाजपा नेता निरंतर सत्तारूढ़ कांग्रेस पर हमलावर है। दिसंबर-जनवरी में प्रस्तावित है चुनाव हिमाचल की 3577 पंचायतों और 71 नगर निकायों में इसी साल चुनाव होने है। मौजूदा प्रतिनिधियों का कार्यकाल 23 जनवरी को पूरा हो रहा है। इलेक्शन कमीशन को 23 जनवरी से पहले चुनाव कराना है, यह संवैधानिक बाध्यता भी है। मगर जिस तरह के हालात बन रहे है, उसे देखते हुए ये चुनाव समय पर होते नजर नहीं आ रहे है, क्योंकि राज्य सरकार ने इलेक्शन कमीशन के आदेशों के बावजूद अब तक आरक्षण रोस्टर नहीं लगाया। इलेक्शन कमीशन दिसंबर में चुनाव कराना चाह रहा है,क्योंकि जनवरी में शिमला, मंडी, लाहौल स्पीति, किन्नौर, कांगड़ा, कुल्लू और सिरमौर जिला के कई भागों में कई बार भारी बर्फबारी हो जाती है। भारतीय संविधान के अनुछेद 243E में 5 साल से पहले चुनाव कराने का प्रावधान हिमाचल में पंचायत व नगर निकाय चुनाव को आज तक कभी भी ऐसी स्थिति उत्पन्न नहीं हुई। यहां तक की कोरोना काल में भी चुनाव टालने की नौबत नहीं आई। उस दौरान, भी समय पर चुनाव कराए गए। भारतीय संविधान के अनुछेद 243Eमें पंचायत और नगर निकाय चुनाव हर पांच साल में करने का प्रावधान है। पंचायतों में पांच सीटों को चुनाव पंचायतों में यह चुनाव पांच सीटों (प्रधान, उप प्रधान, वार्ड मेंबर, पंचायत समिति सदस्य और जिला परिषद सदस्य) के लिए होने है, जबकि शहरी निकाय में वार्ड पार्षद के लिए वोटिंग होनी है।