अल्मोड़ा में आज यानी गुरुवार को दशहरा पर्व अनोखी परंपरा के साथ मनाया जाएगा। यहां हर साल रावण परिवार के करीब डेढ़ दर्जन पुतले तैयार किए जाते हैं। दशमी के दिन गाजे-बाजे के साथ नगर भर में इन पुतलों की झांकी निकाली जाती है और लास्ट में एक साथ इनका दहन किया जाता है। इस अद्भुत नजारे को देखने के लिए नगर में भारी भीड़ उमड़ती है, जबकि देश–विदेश से आए टूरिस्ट भी इस भव्य आयोजन का आनंद उठाते हैं। अल्मोड़ा का दशहरा रावण परिवार के सभी पुतले बनाए जाने की वजह से अद्वितीय है। यह भारत का एकमात्र स्थान है, जहां रावण, कुंभकरण, मेघनाथ सहित पूरे परिवार के पुतले तैयार होते हैं। यही कारण है कि कुल्लू और मैसूर के बाद लोकप्रियता के मामले में अल्मोड़ा का दशहरा देश में तीसरे नंबर पर गिना जाता है। वेस्ट मटेरियल से बनाए गए पुतले
इस बार भी नगर में दशहरा पर्व की धूम है। दशहरा समिति की देखरेख में अलग-अलग मोहल्लों में पुतला कमेटियां अपने-अपने पुतलों को अंतिम रूप देने में जुटी हैं। स्थानीय कलाकार बताते हैं कि पुतले बनाने का काम करीब एक महीने पहले शुरू हो जाता है। एल्युमिनियम के तार से ढांचा खड़ा कर उस पर कागज, गत्ता और कागज की लुगदी का पेस्ट चिपकाया जाता है। सूखने के बाद पुतलों को रंग-बिरंगे पेंट से सजाया जाता है। खास बात यह है कि ये सभी पुतले वेस्ट मटेरियल से बनाए जाते हैं, लेकिन आकर्षण और सजीवता में ये किसी मूर्ति से कम नहीं होते। इन्हें देखने के लिए ग्रामीण इलाकों से लेकर नगरवासियों तक की भीड़ उमड़ पड़ती है। दशहरा समिति के अध्यक्ष अजीत कार्की ने बताया कि इस बार कुल 18 पुतले बनाए जा रहे हैं। दशहरे के दिन सभी पुतला कमेटियां अपने-अपने पुतलों को शिखर तिराहे पर इकट्ठा करेंगी। वहां से गाजे-बाजे के साथ भव्य जुलूस निकाला जाएगा और अंत में सभी पुतलों का दहन किया जाएगा।
