हिमाचल प्रदेश में पर्यावरणीय संरक्षण और जलवायु परिवर्तन से जुड़े मामले की सुप्रीम कोर्ट (SC) में आज (15 सितंबर को) फिर से सुनवाई हुई। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने राज्य की उस रिपोर्ट को स्वीकार किया, जिसे बीते 28 जुलाई की सुनवाई में हिमाचल सरकार को देने के आदेश दिए गए थे। SC ने 28 जुलाई को एक याचिका पर सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए कहा था- यदि हिमाचल में निर्माण कार्य और विकास योजनाएं इसी तरह बिना वैज्ञानिक दृष्टिकोण के चलती रहीं तो वह दिन दूर नहीं जब हिमाचल देश के नक्शे से गायब हो जाएगा, भगवान करे कि ऐसा न हो। कोर्ट ने फैसला रिजर्व रखा सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता की पिटीशन को खारिज करते हुए पर्यावरण एवं पारिस्थितिकीय मुद्दों पर स्वतः संज्ञान लेते हुए इसे जनहित याचिका माना। इस पर आज फिर से सुप्रीम कोर्टमें आज सुनवाई हुई। अदालत ने आज अपना फैसला रिजर्व रखा। अब इस केस की जजमेंट 23 सितंबर को आ सकती है। जाने क्या है पूरा मामला एमएस प्रिस्टिन होटल्स एंड रिजार्ट्स प्राइवेट लिमिटेड शिमला के साथ तारादेवी मंदिर के पास होटल बनाना चाहता है। मगर राज्य सरकार ने लगभग 4 महीने पहले ही तारादेवी के जंगल को ग्रीन एरिया नोटिफाई किया। इसलिए, प्रिस्टिन होटल्स एंड रिजार्ट्स प्राइवेट ने राज्य सरकार की नोटिफिकेशन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। कोर्ट ने 28 जुलाई को प्रिस्टिन होटल्स एंड रिजार्ट्स की याचिका को खारिज कर दिया। अब यह मामला SC में जनहित याचिका के तौर पर देखा जा रहा है। शिमला में 17 ग्रीन एरिया नोटिफाई बता दें कि, शिमला शहर में राज्य सरकार ने लगभग 17 जंगलों को ग्रीन एरिया नोटिफाई कर रखा है। ग्रीन एरिया में निर्माण कार्य पूरी तरह प्रतिबंधित है। इसका मकसद भी जंगलों को बचाना है।