हिमाचल प्रदेश का कुल्लू-मनाली प्राकृतिक आपदा के कारण अलग-थलग पड़ा है। भारी बारिश थमने के छह-सात दिन बाद भी 30 से 40 प्रतिशत इलाके जिला मुख्यालय से कटे हुए हैं। कई जगह पीने के लिए साफ पानी भी नहीं मिल रहा। बहुत से क्षेत्रों में एक सप्ताह से मोबाइल नेटवर्क नहीं है। कुल्लू में 867 बिजली के ट्रांसफॉर्मर बंद होने से आनी, बंजार, कुल्लू और मनाली के 1500 से ज़्यादा गांवों में पांच-छह दिन से ब्लैक-आउट है। कुल्लू शहर में भी शुक्रवार शाम को ही बिजली बहाल हुई है। कई क्षेत्रों में एक सप्ताह से मोबाइल नेटवर्क रीस्टोर नहीं हो पाया है। कुल्लू जिले के ऊंचे इलाकों में सेब की फ़सल पर संकट आ गया है। लाहौल स्पीति का आलू पूरे देश में मशहूर है और फसल पूरी तरह तैयार है। मगर, लाहौल स्पीति का आलू भी इसी वजह से मंडियों में नहीं पहुंच पा रहा। कुल्लू में 70 प्रतिशत से ज़्यादा सड़कें बंद होने से बागवान सेब का तुड़ान नहीं कर पा रहे। इससे सेब बगीचों में झड़ने लगा है। कुल्लू में भारत और नॉर्वे के सहयोग से एशिया का सबसे बड़ा रेनबो ट्राउट फिश फार्म पतलीकूहल में चल रहा है। यहां से रेनबो ट्राउट की सप्लाई पूरे देश व विदेश को जाती है। बड़ाग्रां नाला के मलबे से इस सरकारी फार्म के साथ-साथ प्राइवेट फिश फार्म को भी भारी नुकसान हुआ है। यहाँ पर अंडे डालकर मछलियां तैयार की जाती थीं और बाढ़ से पहले हज़ारों की संख्या में मछलियां मौजूद थीं। मगर अब टैंक गाद से भरे पड़े हैं। आपदा प्रभावितों के साथ-साथ स्थानीय लोग, टूरिस्ट, पर्यटन कारोबारी और सेब ढुलाई के लिए देशभर से पहुंचे ट्रांसपोर्टर परेशान हैं। सेब के बाग तक बह गए। लोगों के घरों को नुकसान पहुंच गया। ग्राउंड जीरो पर अभी जैसे हालात हैं, उसे देखते हुए सड़कें जल्द बहाल होने की उम्मीद नहीं लग रही। चंडीगढ़-मनाली फोरलेन भी पूरी तरह बहाल होने में अभी एक सप्ताह लग सकता है। पूरे जिले की सभी सड़कों की बहाली में 15 से 20 दिन लग सकते हैं। ज्यादातर लोग अब कुल्लू की आपदा को मैन-मेड बता रहे हैं। लोगों का कहना है कि कई साल पहले तक ब्यास नदी गहरी होती थी। हर साल नदी में आने वाले मलबे के कारण इसका वाटर लेवल ऊपर की ओर बढ़ रहा है। इससे ब्यास का पानी सड़क और लोगों के घरों तक पहुंच गया है और हर साल भारी नुकसान कर रहा है। वर्ष 2018, 2023 और अब 2025 की आपदा ने तो भारी तबाही मचाई है। पहले कभी ऐसा नहीं होता था। इससे बचने के लिए लोग नदी को गहरा करने की मांग कर रहे हैं। इससे हो रही परेशानी को जानने के लिए ‘दैनिक भास्कर एप’ की टीम लोगों के बीच पहुंची। पढ़िए ग्राउंड जीरो से यह रिपोर्ट। कुल्लू में आपदा पर प्रभावित लोगों ने क्या कहा, पढ़िए… मनाली के पर्यटन पर भी मार
मनाली पूरी दुनिया में पर्यटन के लिए मशहूर है। मगर पिछले 15 दिनों के दौरान ऑक्यूपेंसी 5 फीसदी से भी नीचे गिर गई है। सड़कें पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं। जल्दी सड़कों की बहाली की उम्मीद नहीं है। इससे विंटर टूरिज्म पर भी मार पड़ने वाली है। साल 2023 की आपदा के बाद भी मनाली की टूरिज्म इंडस्ट्री को बड़ा नुकसान हुआ था। स्थानीय लोगों की मानें तो इस बार 2023 से भी ज्यादा नुकसान हुआ है, इससे पर्यटन उद्योग को नुकसान भी ज्यादा होने का डर है। 25 से 28 अगस्त के बीच ज़्यादा तबाही
कुल्लू जिले में वैसे तो 24 अगस्त से 3 सितंबर तक बारिश जारी रही। मगर 25 से 28 अगस्त के बीच की भारी बारिश ने ज़्यादा तबाही हुई। इससे कुल्लू जिले की 95 प्रतिशत सड़कें व रास्ते बंद हो गए। इस वजह से एक सप्ताह बाद भी स्थिति ऐसी है कि कुल्लू और मनाली का संपर्क भी पूरी तरह बहाल नहीं हो सका है। हालांकि लेफ्ट बैंक होते हुए वैकल्पिक सड़क से छोटे वाहन ज़रूर भेजे जा रहे हैं। मगर मुख्य सड़क अभी बहाल नहीं हो पाई है। विधायक बोले- युद्ध स्तर पर चल रहा काम
मनाली के विधायक भुवनेश्वर गौड़ ने बताया कि क्षेत्र में सड़कों को बहाली का काम युद्ध स्तर पर चल रहा है। आज यानी सोमवार 8 सितंबर को 16 मील से कुल्लू तक कनेक्टिविटी हो जाएगी। ऊंचे क्षेत्रों को छोड़कर ज्यादातर इलाकों में बिजली आ गई है। टूरिज्म पर बुरा असर पड़ा है। अब हमारा ध्यान सेब की फसल पर है। यहां देखे कुल्लू में ग्राउंड पर हालात के ताजा PHOTOS…
