सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश में वन भूमि पर सेब के पेड़ कटान पर रोक लगा दी है। अब आगामी आदेशों तक वन भूमि पर अतिक्रमण करके लगाए गए सेब के पेड़ नहीं काटे जा सकेंगे। शिमला के पूर्व डिप्टी मेयर टिकेंद्र पंवर की याचिका पर SC ने आदेश दिए है। इससे पहले हिमाचल हाईकोर्ट के इसी साल 2 जुलाई के अतिक्रमित वन भूमि पर उगाए जा रहे सेब के बगीचों को काटने के आदेश दिए थे। इन आदेशों के बाद लगभग 4500 सेब के पेड़ काटे जा चुके है। SC में मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई, जस्टिस के विनोद चंद्रन तथा जस्टिस एनवी अंजारिया की पीठ ने टिकेंद्र सिंह पंवर और एडवोकेट राजीव राय की याचिका पर आज सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किए। टिकेंद्र पंवर की ओर से SC में पेश एडवोकेट सुभाष चंद्रन ने बताया कि राज्य में अब आगामी आदेशों तक सेब के पेड़ नहीं काटे जा सकेंगे। इसी मामले में हिमाचल सेब उत्पादक संघ के बैनर तले कल शिमला में सचिवालय का घेराव रखा गया है। इस प्रदर्शन के माध्यम से सरकार से सेब बगीचे काटने पर रोक लगाने और घरों पर तालाबंदी रोकने की मांग की जाएगी। मुख्यमंत्री भी SC जाने की बात कर चुके इसी मामले में मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू भी कह चुके हैं कि हाईकोर्ट उनकी नहीं सुन रहा, इसलिए सेब पेड़ कटान मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी। याचिका में ये दलीलें दी गई टिकेंद्र पंवर की ओर से दायर याचिका में कहा गया, हाईकोर्ट के 2 जुलाई के आदेश मनमाने, असंवैधानिक और पर्यावरणीय सिद्धांतों के खिलाफ है। सेब के फलों से लदे पेड़ काटना तर्कसंगत नहीं है। याचिका में कहा गया कि बरसात के मौसम में बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई से हिमाचल में लैंडस्लाइड और भूमि कटाव का बड़ा कारण हो सकती है। हिमाचल में काटे जा रहे सेब के बगीचे राज्य की आर्थिकी की रीढ़ और सैकड़ों परिवारों की आजीविका है।

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