दुनिया की कठिन श्रीखंड महादेव यात्रा आज से शुरू हो गई है। भगवान भोले के भक्तों का पहला जत्था आज सुबह 5 बजे श्रीखंड के लिए रवाना किया। यह 12 जुलाई को श्रीखंड पहुंचेगा। कल से रोजाना 800-800 भक्तों के जत्थे को श्रीखंड भेजा जाएगा। इस यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं के भोजन के लिए जगह-जगह भंडारे का आयोजन किया जाएगा। इनके ठहरने और स्वास्थ्य जांच के लिए 5 जगह बेस कैंप बनाए गए हैं। इनमें स्वास्थ्य जांच और फिटनेस टेस्ट पास करने के बाद श्रद्धालुओं को श्रीखंड की यात्रा पर भेजा जाएगा। 23 जुलाई तक चलने वाली इस यात्रा पर जाने से पहले फिटनेस टेस्ट पास करना और पंजीकरण अनिवार्य होगा, क्योंकि इस यात्रा को दुनिया की सबसे खतरनाक ट्रैकिंग वाली धार्मिक यात्राओं में से एक माना जाता है। इसमें श्रद्धालुओं को 32 किलोमीटर संकरे व खतरनाक रास्ते से पैदल चलना पड़ता है। पार्वती बाग से आगे होती है ऑक्सीजन की कमी भगवान भोले के भक्तों को बर्फ के 4 ग्लेशियर और चट्टाननुमा पहाड़ियां पार करनी पड़ती हैं। श्रीखंड की चोटी समुद्र तल से 18 हजार 570 फीट की ऊंचाई पर होने से यहां ऑक्सीजन की कमी होती है। इससे कई श्रद्धालुओं को बिना दर्शन के वापस लौटना पड़ता है। पार्वती बाग के आगे कुछ इलाकों में यह परेशानी ज्यादा होती है। भगवान भोले का वास माना जाता है श्रीखंड मान्यता है कि श्रीखंड की चोटी पर भगवान शिव का वास है। यहां शिला के रूप में 72 फीट ऊंचा शिवलिंग है। यहां पहुंचकर श्रद्धालु इसकी परिक्रमा और पूजा करते हैं। इससे उन्हें मनवांछित फल मिलता है और उनकी इच्छा पूरी होती है। देशभर से बड़ी संख्या में भगवान भोले के भक्त हर साल श्रीखंड पहुंचते हैं। श्रीखंड को लेकर श्रद्धालुओं की मान्यता एक पौराणिक कथा के अनुसार, भस्मासुर नाम के एक असुर ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तप किया। भगवान शिव ने प्रसन्न होकर जब भस्मासुर को दर्शन दिए तो उसने भगवान शिव से वर मांगा कि वो जिसके भी सिर पर हाथ रखे वो भस्म हो जाए। यह वर भस्मासुर ने देवताओं पर विजय प्राप्त करने के लिए लिया था। अहंकार में आकर भस्मासुर खुद को भगवान समझने लगा और शिव की पत्नी पार्वती को पाने के लिए भगवान शिव को ही भस्म करने के लिए उनका पीछा करने लगा। तब भगवान शिव श्रीखंड आए थे। इसके बाद भगवान विष्णु ने एक सुंदर स्त्री का रूप धारण कर भस्मासुर को मोहित कर लिया। स्त्री का रूप धारण किए हुए विष्णु जी ने भस्मासुर को नृत्य करने को कहा और नृत्य के दौरान भस्मासुर ने अपना हाथ अपने ही सिर पर रख लिया और उसका अंत हो गया। कैसे पहुंचे श्रीखंड? भोले के जो भक्त श्रीखंड जाना चाहते हैं उन्हें शिमला जिले के रामपुर से कुल्लू के निरमंड होकर बागीपुल और जाओ तक आना होगा। यहां तक गाड़ी व बस में पहुंचा जा सकता हैं। शिमला से रामपुर की दूरी 130 किमी, रामपुर से निरमंड 17 किमी, निरमंड से बागीपुल 17 किमी और बागीपुल से जाओ की दूरी 12 किमी है। यहां से आगे 32 किलोमीटर की दूरी पैदल तय करनी होती है। रास्ते में क्या देख सकते हैं श्रद्धालु श्रीखंड यात्रा के दौरान रास्ते में पार्वती बाग, भीम द्वार, नैन सरोवर, भीम बही, थाचड़ू, बराटी नाला सहित कई मनोरम स्थल हैं। पार्वती बाग में फूलों का बगीचा है, जहां फूलों की खुशबू सभी को मंत्रमुग्ध कर देती है। रास्ते में कई तरह की जड़ी बूटियां भी हैं। श्रीखंड महादेव की यात्रा के लिए पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और जम्मू से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। श्रीखंड यात्रा को लेकर प्रशासन की तैयारियां पूरी SDM निरमंड मनमोहन शर्मा ने बताया कि श्रीखंड यात्रा को लेकर सभी तैयारियां की जा चुकी है। रास्ता पूरी तरह बना दिया गया है। उन्होंने बताया कि श्रीखंड ट्रस्ट समिति और कुल्लू जिला प्रशासन ने यात्रा को सुगम बनाने के लिए सिंहगड़, थाचरू, कुनशा, भीम द्वार और पार्वती बाग में पांच बेस कैंप बनाए है। इन बेस कैंप में न केवल ठहरने व खाने पीने की व्यवस्था होगी, बल्कि स्वास्थ्य जांच के भी इंतजाम होंगे। इसमें सेक्टर मजिस्ट्रेटों और उनके साथ पुलिस अधिकारी या इंचार्ज के अलावा मेडिकल स्टाफ और रेस्क्यू टीमें भी तैनात की गई है। यहां दवाओं और ऑक्सीजन की व्यवस्था रहेगी। ठहरने के लिए प्राइवेट टैंट तथा खाने के लिए ट्रस्ट द्वारा जगह-जगह लंगर लगाए गए हैं। SDM बोले- 800 लोगों से ज्यादा श्रद्धालु नहीं भेजे जाएंगे मनमोहन शर्मा ने बताया कि श्रीखंड यात्रा के लिए अब तक 5 हजार से ज्यादा श्रद्धालु ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवा चुके हैं। मौके पर भी बड़ी संख्या में लोग इसके लिए पंजीकरण करवाते हैं। इसके लए यात्रियों को 250 रुपए पंजीकरण शुल्क देना होता है। उन्होंने कहा कि इस बार रोजाना 800 श्रद्धालु ही यात्रा पर भेजे जाएंगे।