हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्र की मौत के बाद भी सबक नहीं लिया है। विश्वविद्यालय के हॉस्टल में तीन दिन में कैमरे लगाने के आदेश थे, लेकिन 30 दिन बाद भी नहीं लग पाए हैं। हॉस्टल में बाहरी छात्रों के रुकने पर रोक नहीं लग पाई है। जिसके कारण विश्वविद्यालय प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे है। दरअसल, 27 सितंबर को हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के एसबीएस (शहीद भगत सिंह) हॉस्टल की छत से गिरने से एक छात्र की मौत हो गई थी। जिससे पूरे विश्वविद्यालय में हड़कंप मच गया था। जिसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने होस्टलों में तीन दिनों के भीतर 147 कैमरे लगाने के आदेश दिए थे लेकिन 30 दिन बीत जाने के बाद भी कैमरे नहीं लग पाए है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने HPSEC को दिया ऑर्डर हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के मुख्य सुरक्षा अधिकारी गौरी दत्त शर्मा ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने कैमरों के लिए 20 लाख रुपए की पहली किस्त जारी कर दी है। HPSEC ( हिमाचल प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रॉनिक कॉर्पोरेशन) को सप्लाई का ऑर्डर भी दे दिया है। अब कॉर्पोरेशन आगे वेन्डर को काम देकर कैमरा लगाने का कार्य शुरू करेगा। उन्होंने बताया कि कॉर्पोरेशन जल्दी ही अपनी प्रक्रिया पूरी करके कैमरा लगाने का कार्य शुरू कर देगा। होस्टलों में नही रुकी अवैध एंट्री विश्वविद्यालय के होस्टलों में बाहरी आगन्तुक चीफ वार्डन की परमिशन पर ठहर रहे हैं। इसको लेकर कपिल चौधरी नामक शख्स ने विश्वविद्यालय प्रशासन को पत्र लिखा है। जिसमें उसने लिखा है कि प्रशासन ने छात्र की मौत के बाद भी सबक नहीं लिया है। यहां अभी भी बाहरी आगन्तुकों को चीफ वार्डन रुकने की परमिशन दे रहे हैं। पत्र में शख्स ने दावा किया है कि होस्टल में हुई छात्र की मौत कहीं न कहीं होस्टल में अवैध एंट्री का नतीजा है। जिस दिन यह घटना घटी उस दिन भी हॉस्टल में कम से कम 15 लोग बाहरी रुके थे। जो उस छात्र के साथ नशे का सेवन कर रहे थे। शख्स ने आगे लिखा कि यह जांच का विषय है। लेकिन घटना की जांच नहीं हो पाई। हॉस्टल के मुख्य गेट की सीसीटीवी यदि खंगाली जाएं तो सुरक्षा को लेकर कई खुलासे होंगे। उन्होंने दावा किया है कि विश्वविद्यालय प्रशासन को घटना से सबक लेना चाहिए और होस्टलों में छात्रों की सुरक्षा के लिए बाहरी आगन्तुकों पर पूर्ण बैन व होस्टलों में सीसीटीवी की संख्या बढ़ानी चाइए।