(सुभाष गौत्तम-विलासपुर )हिमाचल प्रदेश की महिलाओं के लिए आज भी हिमाचल प्रदेश की पहली महिला फोक सिंगर व डांसर गम्भीर देवी आदर्श है गम्भीर देवी का जन्म 1922 में बिलासपुर जिला के बदला में हुआ था गम्भीर देवी बचपन से कुछ करने का हठ था इसलिए पहाड़ पर अठखेलियां करता जीवन कहां ले जाएगा क्या पता था तब हिमाचल प्रदेश में लड़कियों पर समाज और परिवार की हजारों बदिशे होती थी लेकिन समाज की सभी बरजनाओ और बंधनों की परवाह ना करते हुए गम्भीर देवी ने आठ साल की उम्र में गाना सीख लिया और पीछे मुड़ कर नहीं देखा बिलासपुर के राजा नदचद जब गमभरी के गीत पर नाचने को मजबूर हो गए तो खुश हो कर आजीवन काल के लिए 500 सौ रुपए पैंशन लाई उनका मशहूर गाना खाना पिना नंद लैनी ओ गमभरिए बहुत मशहूर रहा रेडियो बड़े बड़े मेलो में गाना शौक बन गया बुजुर्गों का कहना है कि पहले इस तरह का आयोजन करना बहुत मुश्किल होता था सरकार कभी कभी एसे कार्यक्रम आयोजित करती थी लेकिन पहली बार डगार पंचायत के एक गांव में निवासी मलागर ने सौ मन चावल डालकर बड़े भंडारे का आयोजन किया था जिसमें गमभरी देवी को बुलाया गया था यह 50 साल पहले बहुत बड़ा आयोजन था क्योंकि मलागर राम फाजलिका फिरोज पुल में बहुत बड़ा होटर करते थे गम्भीर देवी उन दिनों बहुत मशहूर गायक थी इस लिए यह आयोजन करवाया गया था गम्भीर देवी गायक थी और पहलवान बसंता ढोलक बजाते थे दोनों ने शादी कर ली क्योंकि बसंता पहलवान भराड़ी घुमारवीं के रहने वाले थे गम्भीर देवी को टैगोर पुरस्कार तथा हिमाचल प्रदेश सरकार ने पुरस्कार से नवाजा उनकी गायकी और नृत्य का जमाना कायल था उनका गाना आज भी जब बजता है तो बड़े बड़े तानसनो को कुछ सोचने पर मजबूर कर देता है मोर मुकुट रंग वालेया मन मोह लया कुंडला वालेया आझ भी गम्भीर देवी हिमाचल प्रदेश की महिलाओं के लिए आदर्श है और वो एक एसा वृक्ष था आज भी जिसके फूल पत्ते हिमाचल प्रदेश की गायकी में मौजूद हैं गम्भीर देवी का निधन 2013 में 91 साल की उम्र में हो गया और हमेशा के लिए एक कलाकार चला गया और समाज में गहरी छाप और अपनी यादे छोड़ गया