हिमाचल विधानसभा के शीतकालीन सत्र में सोमवार को राज्य के बहुचर्चित हिमाचल प्रदेश किरायेदारी एवं भूमि सुधार अधिनियम, 1972 की धारा 118 को लेकर जोरदार हंगामा हुआ। उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने इसे राज्य की अर्थव्यवस्था के लिए “भ्रष्टाचार का स्रोत” करार दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि निवेशकों के लिए बनी इस व्यवस्था का गलत फायदा उठाकर दलाल करोड़ों का खेल खेल रहे हैं। आर्थिक स्थिति पर चर्चा के दौरान हर्षवर्धन चौहान ने सदन में स्पष्ट रूप से कहा कि धारा 118 जमीन की सुरक्षा के लिए बनाई गई थी, लेकिन अब यह भ्रष्टाचार का बड़ा जरिया बन गई है। उन्होंने स्वीकार किया कि पहले राजनीतिक दबाव में इसे सही माना जाता था, लेकिन अब यह साफ हो गया है कि निवेश के लिए नीतियों में लचीलापन अनिवार्य है। जानिए… कैसे जटिल प्रक्रिया से चल रहा भ्रष्टाचार का धंधा स्पष्ट नीति होनी चाहिए, पर सरकार बदलते ही रियायत रद्द हर्षवर्धन चौहान ने यह भी बताया कि पावर प्रोजेक्ट, होटल इंडस्ट्री और रियल एस्टेट सहित हर क्षेत्र में स्थायी और स्पष्ट नीति होनी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि एक सरकार रियायत देती है और अगली सरकार उसे रद्द कर देती है, जिससे हिमाचल की निवेश छवि खराब होती है। उनका दावा था कि पड़ोसी राज्य उत्तराखंड निवेश के मामले में हिमाचल से कहीं आगे निकल चुका है।