हिमाचल प्रदेश में नवंबर-दिसंबर में प्रस्तावित पंचायत चुनाव टल सकते हैं। राज्य के कई जिलों के DC ने सचिव पंचायतीराज को चुनाव टालने के लिए पत्र लिखे है। इनमें आपदा के कारण निजी व सरकारी संपत्ति, सड़कों और रास्तों को हुए नुकसान का हवाला दिया गया है। बताया गया कि ग्रामीण इलाकों में मनरेगा के तहत विभिन्न कार्य शुरू किए गए है। वर्तमान हालात में पंचायतीराज चुनाव व्यावहारिक नहीं है। प्रशासन और विभाग के कर्मचारी आपदा राहत कार्यों में व्यस्त है। इसे देखते हुए सरकार से डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के प्रावधानों के तहत आवश्यक आदेश जारी करने का आग्रह किया गया है। पुख्ता सूत्र बताते हैं कि सरकार ने सभी जिलों के DC से इस तरह का आग्रह करने को कह रखा है। इसके बाद सरकार चुनाव को लेकर फैसला लेगी। वहीं भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव से पहले ही कांग्रेस सरकार का सरेंडर करार दिया है। इलेक्शन कमीशन नवंबर-दिसंबर में चुनाव कराने की तैयारी में वहीं स्टेट इलेक्शन कमीशन नवंबर-दिसंबर पंचायत और नगर निकाय चुनाव कराने की तैयारियां दो महीने पहले शुरू कर चुका है। इन दिनों वोटर लिस्ट बनाने का काम शुरू हो गया है। जिलों के डीसी मतदाता सूची के ड्रॉफ्ट को प्रकाशित कर चुके हैं। कमीशन ने आरक्षण रोस्टर भी लगाने के पहले ही निर्देश दे दिए है। मगर राज्य सरकार आपदा का हवाला देते हुए चुनाव टाल सकती है। सरकार के सहयोग के बगैर चुनाव संभव नहीं हालांकि चुनाव का फैसला इलेक्शन कमीशन पर निर्भर करता है। मगर राज्य सरकार के सहयोग के बगैर चुनाव संभव नहीं है, क्योंकि चुनाव में 50 हजार से ज्यादा कर्मचारियों की जरूरत पड़ेगी। इलेक्शन कमीशन सारी मैन-पावर सरकार से मांगता है। 3577 पंचायतों और 71 नगर निकायों में होने हैं चुनाव प्रदेश की 3577 पंचायतों और 71 नगर निकायों में इसी साल चुनाव होने है। मगर जिस तरह के हालात बन रहे है, उसे देखते हुए ये चुनाव समय पर होते नजर नहीं आ रहे है, क्योंकि राज्य सरकार ने इलेक्शन कमीशन के आदेशों के बावजूद अब तक आरक्षण रोस्टर नहीं लगाया। पंचायतों में पांच सीटों को चुनाव पंचायतों में यह चुनाव पांच सीटों (प्रधान, उप प्रधान, वार्ड मेंबर, पंचायत समिति सदस्य और जिला परिषद सदस्य) के लिए होने है, जबकि शहरी निकाय में वार्ड पार्षद के लिए वोटिंग होनी है। कांग्रेस सरकार चुनाव से पहले कर रही है ‘सरेंडर’: ठाकुर पूर्व उद्योग मंत्री एवं BJP विधायक बिक्रम ठाकुर ने कहा- पंचायत चुनाव से पहले पूरी तरह सरेंडर कर चुकी है। अब अधिकारियों के कंधे पर बंदूक रखकर आपदा का बहाना बनाते हुए चुनाव टालने की साज़िश की जा रही है। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिला उपायुक्तों से पंचायत राज विभाग के सचिव को ऐसे पत्र भिजवाए जा रहे हैं जिनमें कहा गया है कि प्रदेश में आपदा प्रबंधन अधिनियम लगाकर पंचायत चुनाव स्थगित किए जाएं। यह सीधा-सीधा लोकतंत्र पर हमला है। प्रदेश सरकार की जनता से भागने की मानसिकता को उजागर करता है। बिक्रम ठाकुर ने कहा कि जब मुख्यमंत्री और मंत्रीगण विदेश भ्रमणों पर जा सकते हैं, सरकारी आयोजनों और मौज-मस्ती के कार्यक्रमों में भाग ले सकते हैं तो फिर पंचायत चुनाव कराने में कौन सी बाधा है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार के पास अपनी राजनीतिक सैर-सपाटों और उद्घाटनों के लिए सब सुविधाएं हैं, पर लोकतांत्रिक प्रक्रिया चलाने के लिए नहीं। उन्होंने सवाल उठाया कि जब कुल्लू दशहरा जैसा विशाल आयोजन, जहां इस वर्ष आपदा का सबसे गहरा असर पड़ा था, पूरी धूमधाम से मनाया जा सकता है, तो पंचायत चुनाव कराने में क्या समस्या है। इससे स्पष्ट है कि सरकार जनता के बीच जाने से डर रही है और अपनी नाकामी छिपाने के लिए आपदा का सहारा ले रही है।

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