हिमाचल प्रदेश के 14 जनसंगठनों ने लद्दाख में चल रहे अहिंसक आंदोलन को अपना समर्थन दिया है। संगठनों ने प्रदर्शनकारियों पर हुई गोलीबारी की कड़ी निंदा की और लद्दाख की जनता के आंदोलन को संवैधानिक और न्यायोचित बताया है। उनका कहना है कि पांच साल आंदोलन करने के बाद भी सरकार उनकी नहीं सुन रही है। उन्होंने सरकार से तुरंत उनकी मांगें पूरी करने और सोनम वांगचुक को तुरंत रिहा करने की मांग की है। भूख हड़ताल पर बैठे लोगों की हालत बिगड़ी तब जनता सड़क पर उतरी हिमालय नीति अभियान के संयोजक गुमान सिंह ने बताया कि लद्दाख में पांच साल से शांतिपूर्ण आंदोलन चल रहा है, लेकिन सुनवाई नहीं हो रही थी। 24 सितंबर को भूख हड़ताल पर बैठे लोगों का स्वास्थ्य बिगड़ने के बाद जनता सड़कों पर उतर आई। सरकार ने शांति स्थापित करने के बजाय निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज व गोलीबारी की, जिसमें चार स्थानीय व्यक्ति मारे गए और 50 से अधिक घायल हुए। सरकार के लापरवाह रवैए के कारण बिगड़ी बात संगठनों ने स्थानीय प्रशासन और केंद्र सरकार के रवैये की आलोचना की। उनका कहना है कि दोनों के लापरवाह रवैए के कारण जो मुद्दा बातचीत से हल हो सकता था, वह बिगड़ गया। उन्होंने कहा कि सरकार का कर्तव्य है कि वह अहिंसक आंदोलन को हिंसक न बनने दे। संगठनों ने सोनम वांगचुक द्वारा लद्दाख में हिंसा रोकने की अपील की सराहना की। भूमि अधिग्रहण प्रभावित मंच के संयोजक जोगेंद्र वालिया ने सोनम वांगचुक को तुरंत रिहा करने और जनता पर लगाए गए सभी मुकदमों को बिना शर्त वापस लेने की मांग की। उन्होंने लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची के अंतर्गत शामिल करने पर जोर दिया। आंदोलन की मुख्य मांगें