धीरेंद्र शास्त्री ने कहा, “उनसे हम कहेंगे कि उनकी अगर श्रद्धा जगे तो हमारी कथा करवाएं, हम उनके गांव में, जहां वो कहेंगे, वहां आएंगे, टेंट और साउंड अपना लाएंगे। यजमान उनको बनना पड़ेगा। एक रुपए दक्षिणा नहीं लेंगे और कथा सुनाकर जाएंगे।” 

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