हिमाचल प्रदेश के कुल्लू और और कांगड़ा में हाल ही में बादल फटने की घटनाओं के बाद टूरिस्टों में डर का माहौल है, जिसके चलते उन्होंने पहाड़ों की ओर रुख करना कम कर दिया है। लगभग 10% टूरिस्टों ने होटलों में अपनी एडवांस बुकिंग कैंसिल करा दी है। हालांकि, सरकार लगातार यह आश्वासन दे रही है कि हिमाचल में कोई खतरा नहीं है, और टूरिस्टों को केवल थोड़ी सावधानी बरतने की जरूरत है। हरियाणा, पंजाब, चंडीगढ़, दिल्ली समेत अन्य राज्यों से काफी संख्या में टूरिस्ट पहाड़ों पर पहुंचते हैं। इसे देखते हुए हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम (HPTDC) ने टूरिस्टों को आकर्षित करने के लिए एक स्पेशल पैकेज की घोषणा की है। इसके तहत, निगम के होटलों में 15 जुलाई से 12 सितंबर तक 20 से 40 प्रतिशत तक की छूट दी जाएगी। आमतौर पर, गर्मी के मौसम में होटल पूरी तरह से भरे रहते हैं, लेकिन बरसात के दिनों में पर्यटकों की संख्या कम हो जाती है। इसी को ध्यान में रखते हुए निगम ने यह पैकेज तैयार किया है, ताकि अधिक से अधिक टूरिस्ट यहां आकर ठहर सकें। मानसून के मौसम में हिमाचल में 8 ऐसी डेस्टिनेशन हैं, जहां टूरिस्ट बिना किसी डर के आ सकते हैं। ऊंचाई पर होने की वजह से इन स्थानों पर जलभराव की समस्या नहीं होती, जिससे बाढ़ का खतरा भी नहीं रहता। अब उन जगहों के बारे में जानिए, जहां टूरिस्ट मानसून में आ सकते हैं… शिमला- मानसून टूरिज्म के लिए शिमला सुरक्षित पर्यटन स्थल माना जाता है। यहां ठहरने के लिए बड़ी संख्या में होटल उपलब्ध है। यहां पर घूमने के लिए रिज, मॉल रोड, लक्कड़ बाजार, एडवांस स्टडी, नालदेहरा, जाखू मंदिर और कालीबाड़ी मंदिर है। चंडीगढ़-शिमला NH-05 से टूरिस्ट शिमला पहुंच सकते हैं। चंडीगढ़ से इसकी दूसरी लगभग 115 किलोमीटर है। हाईवे पर ज्यादातर लैंडस्लाइड का खतरा रहता है, लेकिन मलबे को तुरंत हटाकर हाईवे चालू करा दिया जाता है। कुफरी- शिमला से लगभग 13 किलोमीटर दूर कुफरी है। यहां पहुंचकर टूरिस्ट महासू पीक, देशू, राष्ट्रपति निवास छराबड़ा, चीनी बंगला जा सकते हैं। कुफरी के लिए चंडीगढ़-शिमला-रामपुर नेशनल हाईवे से पहुंचा जा सकता है। चंडीगढ़ से इसकी दूरी करीब 130 किलोमीटर है। नारकंडा- नारकंडा शिमला से लगभग 69 किलोमीटर दूर है। यहां शिमला से लगभग ढाई घंटे और चंडीगढ़ से लगभग 5 घंटे में पहुंचा जा सकता है। टूरिस्ट हाटू पीक, हाटू माता मंदिर, स्टोक्स फार्म, महामाया मंदिर, तन्नी जुब्बर झील, जौ-बाग, कचेरी देख सकते हैं। चायल- शिमला और सोलन जिला की बाउंड्री पर घने जंगलों के बीच बसा चायल भी मानसून टूरिज्म के लिए सेफ माना जाता है। यह अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है। यहां के लिए टूरिस्ट वाया शिमला-कुफरी होते भी जा सकते हैं। सोलन के कंडाघाट से साधु-पुल होते हुए चायल पहुंचा जा सकता है। कसौली- सोलन जिला का सबसे मशहूर पर्यटन स्थल कसौली है। यह जगह भी मानसून टूरिज्म के लिए सुरक्षित मानी जाती है। यहां पर जलभराव का कोई खतरा नहीं रहता। सड़क नेटवर्क भी कसौली के लिए अच्छा है। इसलिए पर्यटक यहां पहुंचकर मानसून टूरिज्म का आनंद उठा सकते हैं। चंडीगढ़-शिमला फोरलेन से टूरिस्ट को पहले धर्मपुर तक आना होता है। धर्मपुर से करीब 12 किलोमीटर गड़खल रोड पर कसौली पड़ता है। धर्मशाला- धर्मशाला मानसून पर्यटन के लिए सुरक्षित शहर है। यहां पर पर्यटक भागसू नाग वाटर फॉल, मैक्लोडगंज, इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम देख सकते हैं। धर्मशाला आने वाले टूरिस्ट को बरसात के दौरान यहां के ट्रेकिंग रूट पर नहीं जाने की सलाह दी जाती है। मानसून में यहां ट्रेकिंग खतरनाक साबित हो सकती है। मनाली – मनाली दुनियाभर में मशहूर पर्यटन स्थल है। यहां पर ब्यास नदी किनारे बने होटल को छोड़ दें तो मनाली में मानसून टूरिज्म पूरी तरह सुरक्षित है। मनाली के लिए टूरिस्ट कीरतपुर-मनाली फोरलेन से पहुंच सकते हैं। चंडीगढ़ से मनाली की दूरी लगभग 177 किलोमीटर है। इस सफर में 4 से 5 घंटे लग जाते हैं। डलहौजी- चंबा जिला का सबसे मशहूर पर्यटन स्थल है। यहां सबसे ज्यादा पंजाब के टूरिस्ट पहुंचकर प्रकृति की खूबसूरती का आनंद उठाते हैं। डलहौजी के लिए पठानकोट-भरमौर नेशनल हाईवे से पहुंचा जा सकता है। यदि कोई टूरिस्ट पहले ही मनाली-शिमला है तो वह नूरपूर-लाहड़ू-ककीरा-डलहौजी सड़क से डलहौजी जा सकते हैं। पठानकोट से डलहौजी की दूरी लगभग 80 किलोमीटर है। इस सफर में ढाई से 3 घंटे का वक्त लग जाता है। होटेलियर बोले- मनाली-शिमला बिल्कुल सेफ होटलों में 28 जून को 50 से 70% ऑक्यूपेंसी
प्रदेश के ज्यादातर पर्यटन स्थलों पर बीते सप्ताह तक 80 से 90 प्रतिशत ऑक्यूपेंसी हो गई थी। इस बार यह 50 से 70 फीसदी तक गिर गई है। शिमला के होटलों में शुक्रवार (27 जून) को 40 से 50 फीसदी ऑक्यूपेंसी थी। शनिवार (28 जून) को यह 60 प्रतिशत तक पहुंच पाई है। मनाली में भी शनिवार को 50 से 60 प्रतिशत ऑक्यूपेंसी थी।
