हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार ने अधूरी पुरानी पेंशन योजना (OPS) लागू कर दी है। प्रदेश के करीब 9500 कर्मचारी 22 महीने से ओपीएस बहाली का इंतजार कर रहे हैं। अकेले बिजली बोर्ड में ही करीब 6100 कर्मचारी ओपीएस का इंतजार कर रहे हैं। इसी तरह शहरी नगर निकायों में करीब 1300 और पंचायतों में सेवाएं दे रहे करीब 2100 कर्मचारियों को ओपीएस नहीं मिल पाया है। कांग्रेस ने 2022 के विधानसभा चुनाव में सभी कर्मचारियों को ओपीएस देने का वादा किया था। अपने वादे के मुताबिक कांग्रेस सरकार ने पहली ही कैबिनेट बैठक में ओपीएस बहाली को मंजूरी दे दी। इसके बाद सरकार ने विभिन्न विभागों समेत कुछ बोर्ड-निगमों में करीब 1.36 लाख कर्मचारियों की ओपीएस बहाल कर बड़ा तोहफा दिया, लेकिन बिजली बोर्ड, शहरी और ग्रामीण नगर निकाय कर्मचारी इससे वंचित रह गए। जिन कर्मचारियों की ओपीएस बहाल हुई थी, उनकी एनपीएस में हिस्सा कटौती भी बंद हो गई है। जून में किया था विरोध
बिजली बोर्ड कर्मचारियों ने OPS की बहाली को लेकर जून महीने में कई दिनों तक विरोध प्रदर्शन किया था। फिर मुख्यमंत्री के आश्वासन पर उन्होंने अपनी हड़ताल समाप्त कर दी थी और सीएम ने बोर्ड प्रबंधन को इन कर्मचारियों को OPS देने के निर्देश दिए थे। लेकिन बोर्ड प्रबंधन उनकी मांग मानने को तैयार नहीं है। बिजली बोर्ड प्रबंधन को 15 दिन का अल्टीमेटम बिजली बोर्ड कर्मचारियों ने सरकार को 15 दिन का अल्टीमेटम दिया है। लेकिन बिजली बोर्ड प्रबंधन इन कर्मचारियों को OPS देने के पक्ष में नहीं है। इसके चलते आने वाले दिनों में इंजीनियर-कर्मचारियों और बोर्ड प्रबंधन के बीच टकराव की स्थिति देखने को मिल सकती है। OPS बहाली के लिए लड़ेंगे निर्णायक लड़ाई: हीरा लाल बिजली बोर्ड इंजीनियर एवं कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के सह संयोजक हीरा लाल वर्मा ने कहा कि बोर्ड कर्मचारियों के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। बोर्ड कर्मचारी ओपीएस की मांग को लेकर कई बार प्रदर्शन कर चुके हैं। हर बार उन्हें ओपीएस देने का आश्वासन दिया गया। लेकिन ओपीएस बहाल नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि दिवाली के बाद बिजली कर्मचारी ओपीएस की मांग को लेकर चक्काजाम करने से भी पीछे नहीं हटेंगे। नगरीय निकाय कर्मचारियों के साथ सौतेला व्यवहार क्यों: आसरा राम नगरीय निकाय कर्मचारी संघ के अध्यक्ष असरा राम ने कहा कि उनके करीब 1300 कर्मचारियों को ओपीएस नहीं दिया गया है। उन्होंने कांग्रेस सरकार से अपना वादा पूरा करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि अगर प्रदेश के 1.36 लाख कर्मचारियों को ओपीएस दिया गया है तो उनके 1300 कर्मचारियों के साथ सौतेला व्यवहार क्यों किया जा रहा है।

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