राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर हिमाचल की मंडी से सांसद एवं अभिनेत्री कंगना रनोट की सोशल मीडिया पोस्ट से विवाद छिड़ गया है। इसे महात्मा गांधी के अपमान से जोड़कर देखा जा रहा है। कंगना ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक पोस्ट शेयर किया है, जिसमें उन्होंने लिखा- ”देश के पिता नहीं देश के तो लाल होते हैं। धन्य हैं, भारत मां के ये लाल।” इसके नीचे कंगना ने लाल बहादुर शास्त्री की फोटो लगाई हुई है। बता दें कि आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के साथ साथ पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न से सम्मानित लाल बहादुर शास्री की जयंती भी है। कंगना ने लाल बहादुर शास्त्री की जयंती को लेकर ही ये पोस्ट किया है। हालांकि इस पोस्ट के जरिए उन्होंने महात्मा गांधी पर तंज कसा है। कंगना ने दिया संस्कार व स्वभाव स्वच्छता का संदेश
कंगना रनोट ने अन्य वीडियो पोस्ट किया है, जिसमें वह कह रही हैं कि स्वच्छता भी इतनी ही जरूरी है, जितनी आजादी। महात्मा गांधी के इस दृष्टिकोण को आगे ले जा रहे हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। इस अभियान की थीम है, स्वभाव स्वच्छता और संस्कार स्वच्छता। यही हमारे भारतवर्ष की संपत्ति व धरोहर है। संस्कार और स्वभाव में हमारा देश सर्वश्रेष्ठ होना चाहिए, ताकि हमारी आने वाली पीढ़ी बुजुर्गों, बच्चों व महिलाओं के लिए संवेदनशील हो। अंत में कंगना कहती हैं स्वच्छता अभियान मनाते हैं संस्कार व स्वभाव स्वच्छता के साथ। कंगना ने बापू के अहिंसा के मंत्र का उड़ाया था मजाक
ये पहली बार नहीं है जब कंगना ने महात्मा गांधी को लेकर विवादित बयान दिया है। इससे पहले ही कई मौकों पर वो बापू पर तंज कस चुकी हैं। 17 नवंबर 2021 में भी कंगना बापू पर एक विवादित बयान देकर सुर्खियों में आईं थी। उस समय कंगना ने दावा किया था कि आजाद हिंद फौज के संस्थापक सुभाषचंद्र बोस और शहीद भगत सिंह को महात्‍मा गांधी से समर्थन नहीं मिला। इसके साथ ही कंगना ने महात्मा गांधी द्वारा दिए गए ‘अहिंसा के मंत्र’ का भी मजाक बनाते हुए कहा था- एक और गाल आगे करने से आपको भीख मिलती है आजादी नहीं। इतना ही नहीं कंगना ने लिखा था कि अपने हीरोज को बुद्धिमानी के साथ चुनिए। किसने दी गांधी को राष्ट्रपिता की संज्ञा
मोहनदास करमचंद गांधी को महात्मा गांधी, राष्ट्रपिता और बापू के नाम से लोग जानते हैं। 4 जून 1944 को सुभाष चन्द्र बोस ने सिंगापुर रेडियो से एक संदेश प्रसारित करते हुए महात्मा गांधी को ‘देश का पिता’ (राष्ट्रपिता) कहकर संबोधित किया था। बाद में भारत सरकार ने भी इस नाम को मान्यता दे दी। गांधी जी के देहांत के बाद भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने रेडियो के माध्यम से देश को संबोधित किया था और कहा था कि ‘राष्ट्रपिता अब नहीं रहे’। उन्होंने गांधी जी को यह उपाधि इसलिए दी, क्योंकि वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेता थे और उन्होंने देश को एकजुट किया था। तब से उन्हें ‘राष्ट्रपिता’ कहा जाता है।

Spread the love

By