हिमाचल प्रदेश की खराब वित्तीय स्थिति को देखते हुए मुख्यमंत्री सुखविंर सिंह सुक्खू , सभी मंत्री सीपीएस और बोर्ड निगमीय में लगे चेयरमैन ने अपनी दो महीने की सैलरी और भत्ते को छोड़ने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने गुरुवार को विधानसभा के मानसून सत्र के तीसरे दिन सत्र की कार्यवाही के दौरान इसकी घोषणा की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश की वित्तीय स्थिति ठीक नहीं है। इसके कई कारण हैं। रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट जो वर्ष 2023-24 में 8058 करोड़ रुपए थी। वह इस वर्ष 1800 करोड़ रुपए कम हो कर 6258 करोड़ रुपए हो गई है। अगले वर्ष (2025-26) में यह 3000 करोड़ रुपए और कम हो कर 3257 करोड़ रुपए रह जाएगी। PDNA की लगभग 9042 करोड़ रुपए की राशि में से केन्द्र सरकार से अभी तक कोई भी राशि प्राप्त नहीं हुई है। विपक्ष से सैलरी न लेने की अपील
मुख्यमंत्री ने बताया कि NPS के लगभग 9200 करोड़ रुपए PFRDA से प्राप्त नहीं हुए है। जिसका हम केन्द्र सरकार से कई बार अनुरोध कर चुके हैं। जीएसटी कंपनसेशन जून 2022 के बाद मिलना बन्द हो गया है जिससे प्रतिवर्ष लगभग 2500-3000 करोड़ की आय कम हो गई है। OPS बहाल करने के कारण हमारी उधार भी लगभग 2000 करोड़ से कम कर दी गई है। इन परिस्थितियों से पार पाना आसान नहीं है। हमने प्रदेश सरकार की आय बढ़ाने और अनुत्पादक व्यय कम करने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि इन प्रयासों के परिणाम आने में समय लगेगा। लेकिन उन्होंने इसकी शुरुआत कर दी है। वहीं मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विधानसभा में अपने वेतन भत्ते छोड़ने की घोषणा के बाद पक्ष व विपक्ष के सभी विधायकों से भी प्रदेश की खराब वित्तीय स्थिति को देखते हुए उसे सुधारने के लिए वेतन व भत्ते छोड़ने की अपील की है।

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