हिमाचल के मंडी जिले में कलम (पहाड़ी लघु चित्रकला शैली) को संरक्षण और प्रोत्साहन की आवश्यकता है, ताकि यह कला जीवित रह सके और आगे बढ़ सके। यह बात उपायुक्त अपूर्व देवगन ने मंडी में आयोजित 5 दिवसीय कार्यशाला के शुभारंभ के अवसर पर कही। उन्होंने जोर दिया कि राज्य सरकार और जिला प्रशासन इस दिशा में दृढ़ संकल्प के साथ काम करेंगे। यह कार्यशाला भाषा एवं संस्कृति विभाग, हिमाचल प्रदेश, जिला मंडी द्वारा मंडी कलम पर आयोजित की जा रही है। इसका आयोजन वल्लभ राजकीय महाविद्यालय मंडी में किया गया है, जहां आगामी 5 दिनों तक महाविद्यालय के विद्यार्थी मंडी कलम की बारीकियां सीखेंगे। कलाकार की इच्छा के बिना पूरे नहीं होंगे प्रयास उपायुक्त ने कहा कि सरकार और प्रशासन के प्रयास तब तक पूर्ण नहीं हो सकते, जब तक कलाकार स्वयं इच्छुक न हों। उन्होंने सिखाने वाले और सीखने वाले, दोनों तरह के कलाकारों की भूमिका को कला को आगे बढ़ाने में सबसे अहम बताया। मंडी कलम पर बहुत सीमित अवधि हुआ काम देवगन ने बताया कि कांगड़ा और चंबा की मिनिएचर आर्ट देश-विदेश में प्रसिद्ध हैं, जिन पर 17वीं और 18वीं शताब्दी में काम शुरू हुआ था। जबकि मंडी कलम पर 16वीं शताब्दी से भी पहले कार्य आरंभ हो चुका था और उस दौर में इसे शाही परिवारों का संरक्षण प्राप्त था। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि आधुनिक समय में मंडी कलम पर बहुत सीमित अवधि से ही पुनः कार्य आरंभ हुआ है।

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