धर्मशाला स्मार्ट सिटी योजना अपने चयन के नौ साल बाद भी शहरवासियों को प्रस्तावित बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने में विफल रही है। 2016 में इसको लेकर काम शुरू हुआ, लेकिन दूसरी समय सीमा बीतने के बाद भी अधिकांश परियोजनाएं अधूरी हैं। जबकि इन्हें पूरा करने की समय सीमा पहले 30 जून 2024 थी, जिसे बढ़ाकर मार्च 2025 और फिर दिसंबर 2025 कर दिया गया है, जिसमें 10 दिन भी नहीं बचे हैं। नौ साल बाद भी स्मार्ट सिटी की धीमी प्रगति ने धर्मशाला स्मार्ट सिटी लिमिटेड की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।हाल यह है कि पहले ही 2019 करोड़ का प्रस्ताव 542 करोड़ में सिमटा, 9 सालों में 80 में से 20 परियोजनाएं ही पूरी हुईं। 10 जो चल रही हैं, नहीं लगता है कि वह अगले साल तक भी पूरी हो पाएंगी शहरवासियों को उम्मीद थी कि स्मार्ट सिटी योजना से यातायात, पार्किंग, बिजली, पेयजल और पर्यटन सुविधाओं में बड़ा सुधार होगा, लेकिन हकीकत में यह योजना अब भी अधूरी तस्वीर बनकर रह गई है। अधूरी पड़ी पार्किंग तीन साल में नहीं बनी सात मंजिला पार्किंग- भूस्खलन भी बना बाधा एचआरटीसी बस अड्डा एचआरटीसी बस डिपो और वर्कशाप भी अधूरी एचआरटीसी बस डिपो और वर्कशाप के लिए स्मार्ट सिटी मिशन के तहत करीब 13 करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं, जिसमें ग्राउंड फ्लोर में डीजल बसों की मेंटेनेंस की सुविधा का प्रबंध किया जा रहा है और पहले फ्लोर पर इलेक्ट्रिक बसों के लिए चार्जिंग स्टेशन की व्यवस्था होगी। लेकिन यह कार्य भी पूरा नहीं हुआ है। 2109 करोड़ से सिमटकर 542 करोड़ रह गई योजना, फिर भी अधूरी 80 में से 20 परियोजनाओं ही पूरी: धर्मशाला स्मार्ट सिटी परियोजना के अंतर्गत कुल 80 परियोजनाएं प्रस्तावित की गई थीं। इनमें से अब तक लगभग 20 ही पूरी हो पाई हैं। शहर में चल रही 10 प्रमुख परियोजनाओं की प्रगति भी काफी धीमी है और कई योजनाएं आधी भी पूरी नहीं हो सकी हैं। इससे शेष करोड़ों रुपए की परियोजनाओं का हाल बुरा है। निवेशक नहीं मिला तो चौथाई हुआ बजट: अगस्त 2015 में घोषणा के समय 2109 करोड़ का प्रस्ताव बना था। बाद में स्मार्ट सिटी के मूल प्रारूप में बदलाव हुआ और बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांसफर (बीओटी) मॉडल के तहत प्रस्तावित कई योजनाओं के लिए निवेशक नहीं मिले। इससे 2109 करोड़ में मात्र 542 करोड़ के कार्यों की मंजूरी मिली। इसमें 52.89 करोड़ रुपए राज्य सरकार और 490 करोड़ रुपए केंद्र सरकार द्वारा दिए गए हैं। डेट बढ़ाया पर काम की रफ्तार नहीं बढ़ी: स्मार्ट सिटी योजना मूल रूप से जून 2023 में समाप्त होनी थी। इसे पहले जून 2024 और फिर 31 मार्च 2025 तक बढ़ाया गया, इनमें से करीब 496 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट पूरे हो चुके हैं या निर्माणाधीन हैं। 100 करोड़ से अधिक की भूमिगत केबलिंग परियोजना अधर में है। धर्मशाला स्मार्ट सिटी की भूमिगत केबलिंग परियोजना भी विवादों में घिरी हुई है। जानिए क्या हाल है परियोजनाओं का- कहीं विवाद तो कहीं फंड बर्बाद 52 लाख के बैंबू ट्री हाउस बने फंड दुरुपयोग की मिसाल

Spread the love