हिमाचल हाईकोर्ट ने शिमला के लोअर बाजार में रास्तों पर अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए नगर निगम को उचित कार्रवाई की पूरी छूट दे दी है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यह कार्रवाई केवल तहबाजारी लगाने वालों तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि उन दुकानदारों पर भी होगी, जिन्होंने अपनी दुकानों के सामने सरकारी जमीन पर कब्जा कर रखा है। चीफ जस्टिस गुरमीत सिंह संधावालिया और जस्टिस जिया लाल भारद्वाज की खंडपीठ ने पुलिस को भी निर्देश दिए हैं कि वह अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई में नगर निगम को पूरी मदद करे। कोर्ट ने कहा कि अतिक्रमण मुक्त क्षेत्र बनाए रखना पुलिस की भी जिम्मेदारी है। दुकानदारों की मिलीभगत पर कड़ी टिप्पणी कोर्ट को बताया गया कि लोअर बाजार में अतिक्रमण केवल रेहड़ी-फड़ी वालों तक सीमित नहीं है, बल्कि कई दुकानदार भी इसमें शामिल हैं, जो अपनी दुकानों के सामने लोगों को बैठने की अनुमति देते हैं और अनौपचारिक रूप से उनसे पैसा वसूल रहे हैं। बेंच ने इस व्यवस्था को पूरी तरह अस्वीकार्य करार दिया। मॉक ड्रिल में उजागर हुई गंभीर स्थिति कोर्ट को अवगत कराया गया कि जुलाई से सितंबर 2025 के बीच दमकल विभाग और जल आपूर्ति दल ने सीटीओ चौक से लोअर बाजार होते हुए शेर-ए-पंजाब तक मॉक ड्रिल की थी। इस दौरान सामने आया कि- कोर्ट ने कहा कि लोअर बाजार अत्यधिक भीड़-भाड़ वाला इलाका है, जहां फुटपाथ तक नहीं हैं। ऐसे में आपातकालीन वाहनों के लिए रास्ता न होना बेहद गंभीर स्थिति है। आग की स्थिति में बड़ा खतरा हाईकोर्ट ने चेताया कि लोअर बाजार में मौजूद 150 साल से ज्यादा पुरानी लकड़ी की इमारतें किसी भी आग की घटना को बड़ी आपदा में बदल सकती हैं। इसलिए यह बेहद जरूरी है कि इस क्षेत्र को अतिक्रमण मुक्त रखा जाए ताकि आपातकालीन सेवाओं का सुचारु आवागमन सुनिश्चित हो सके। इन बुनियादी सुविधाओं का अभाव कोर्ट के समक्ष एक पत्र के माध्यम से यह भी बताया गया कि लोअर बाजार में पीने के पानी, वरिष्ठ नागरिकों और महिलाओं के बैठने के लिए बेंच, कूड़ा संग्रहण व्यवस्था, आपातकालीन वाहनों के लिए पार्किंग जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। हाईकोर्ट ने इस पत्र को रिकॉर्ड में लेते हुए संबंधित अधिकारियों को इन समस्याओं के समाधान के निर्देश भी दिए हैं।

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