हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में सरकारी जमीन की अवैध खरीद-फरोख्त का बड़ा खुलासा हुआ है। विभाग की मदद से करोड़ों की जमीन का फर्जीवाड़ा किया गया। जांच में खुलासा होने के बाद कई इंतकाल रद्द किए हैं। अब फर्जीवाड़ा करने वालों पर गाज गिर सकती है। इसको लेकर तहसीलदार धर्मशाला की विस्तृत जांच की है। इसमें यह पुष्टि हुई है कि वर्ष 2019 से 2021 के बीच करोड़ों की सरकारी जमीन को नियमों का उल्लंघन कर निजी हाथों में सौंपा गया था। इस खुलासे के बाद, अब इन फर्जी नामांतरणों (इंतकाल) को रद्द कर जमीन वापस सरकार के नाम करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। तहसीलदार की इस रिपोर्ट के आधार पर, अब इन 9 इंतकालों को खारिज करने के आदेश जारी किए गए हैं। इससे यह बेशकीमती जमीन दोबारा ‘हिमाचल सरकार’ के खाते में दर्ज हो जाएगी। प्रशासन की रडार पर कुल 32 इंतकाल हैं। इसमें 9 पर कार्रवाई प्रगति पर है। बाकी बचे मामलों की भी बारीकी से फाइलें खंगाली जा रही हैं। गलत तरीके से बांटी गई जमीनें जानिए… कैसे सरकारी जमीन को अपनी समझकर लुटाया अभी तो तीन साल का फर्जीवाड़ा खुला: तहसीलदार धर्मशाला, गिरिराज ठाकुर की रिपोर्ट में इस घोटाले का खुलासा हुआ है। उन्होंने वर्ष 2019 से 2021 के बीच हुए संदिग्ध इंतकालों की पड़ताल की। शुरुआती चरण में 9 इंतकाल पूरी तरह से गलत और अवैध तरीके से किए गए थे। मुहाल ठेहड़ के 3 और मुहाल चकवन घन्यारा के 6 इंतकाल मामलों में सरकारी भूमि को निजी मिल्कियत दिखाकर हस्तांतरित किया गया था। सरकार का नाम दर्ज होने के बाद निजी के नाम किया: राजस्व विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार, इन 32 इंतकालों में “सरकार हिमाचल प्रदेश” का इंद्राज खाता मलकीयत में दर्ज होने के बावजूद जमीन को निजी व्यक्तियों के नाम स्थानांतरित किया गया था। दलालों ने कथित तौर पर अधिकारियों के साथ मिलकर इन जमीनों के रिकॉर्ड में हेरफेर की थी ताकि इन्हें बाजार में बेचा जा सके। जांच के दायरे में तीन प्रमुख मुहाल फर्जीवाड़ा खुला तो विभाग में हड़कंप: कार्रवाई के बारे में जानें 3 साल तक चलता रहा खेल, अब नपेंगे जिम्मेदार: यह पूरा फर्जीवाड़ा 2019 से 2021 के बीच हुआ है। तहसीलदार गिरिराज ठाकुर की जांच ने स्पष्ट कर दिया है कि उस समय तैनात रहे फील्ड स्टाफ और कुछ अधिकारियों ने अपने पद का दुरुपयोग किया। अब प्रशासन उन अधिकारियों और दलालों की सूची तैयार कर रहा है। फिर से सरकार के नाम हस्तांतरित होगी जमीन: तहसीलदार, धर्मशाला गिरिराज ठाकुर ने कहा कि जांच के दौरान 2019 से 2021 के बीच किए गए इंतकालों में से 9 को गलत पाया गया है। इन सभी गलत इंतकालों को खारिज कर दिया गया है और जमीन को पुनः सरकार के नाम हस्तांतरित (ट्रांसफर) करने की प्रक्रिया अमल में लाई जा रही है, जिन्होंने सरकारी संपत्ति को निजी जागीर समझकर लुटाया। आगे क्या होगा: 9 इंतकालों के खारिज होने के बाद अब उन खरीदारों में हड़कंप है जिन्होंने इन जमीनों पर करोड़ों का निवेश कर रखा है। जल्द ही इस मामले में संलिप्त रहे तत्कालीन कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय जांच के साथ-साथ कानूनी कार्रवाई भी शुरू हो सकती है। इसके साथ ही जिम्मेदारों पर भी कार्रवाई की गाज गिरने की संभावना है।