तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा ने अपने उत्तराधिकारी के संबंध में चीन को स्पष्ट संदेश दिया है। उन्होंने कहा कि उनका पुनर्जन्म चीन के राजनीतिक हस्तक्षेप से दूर किसी ‘स्वतंत्र देश’ में होगा। दलाई लामा ने यह बात 2 जुलाई को धर्मशाला में आयोजित 15वें तिब्बती धार्मिक सम्मेलन में 180 से अधिक बौद्ध नेताओं को भेजे गए एक पूर्व-रिकॉर्डेड वीडियो संदेश में कही। उन्होंने जोर देकर कहा कि दलाई लामा संस्था बनी रहेगी और पुनर्जन्म की मान्यता का अधिकार केवल गादेन फोड्रंग ट्रस्ट के पास है। निर्वासित तिब्बती सरकार, केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (CTA) के अध्यक्ष पेनपा त्सेरिंग ने भी चीन के हस्तक्षेप को सिरे से खारिज किया। उन्होंने कहा कि पुनर्जन्म तिब्बती परंपरा का एक आंतरिक मामला है और इस पर अंतिम निर्णय दलाई लामा का ही होगा। तिब्बती चीन द्वारा नियुक्त किसी को नहीं मानेंगे 6 जुलाई को अपने 90वें जन्मदिन पर भी दलाई लामा ने इस बात को दोहराया। उन्होंने स्पष्ट किया कि तिब्बती बौद्ध चीन द्वारा नियुक्त किसी भी पुनर्जन्म को स्वीकार नहीं करेंगे। इस बीच, तिब्बती युवा कांग्रेस (TYC) ने चीन समर्थित पंचेन लामा ग्यालत्सेन नोरबू के एक बयान की कड़ी निंदा की। तिब्बती धर्म पर बीजिंग की साजिश नोरबू ने 8 दिसंबर को शिगात्से में कहा था कि पुनर्जन्म चीनी कानून और अनुमोदन के अनुसार होगा। TYC ने इसे तिब्बती धर्म पर बीजिंग की साजिश करार दिया। TYC ने अपने प्रेस बयान में कहा कि यह सदियों पुरानी तिब्बती परंपराओं का अपमान है। संगठन ने आरोप लगाया कि यह चीन की ‘राज्य-प्रायोजित’ योजना है, जिसके तहत वह अपना दलाई लामा थोपना चाहता है। पंचेन लामा के लापता होने का मुद्दा TYC ने 1995 में दलाई लामा द्वारा चुने गए 11वें पंचेन लामा गेधुन चोएक्यी न्यिमा के 30 साल से लापता होने का मुद्दा भी उठाया। गेधुन चोएक्यी न्यिमा को छह साल की उम्र में उनके परिवार सहित गायब कर दिया गया था। TYC ने चेतावनी दी कि तिब्बती और बौद्ध दुनिया चीन द्वारा की गई किसी भी नियुक्ति को अस्वीकार करेगी। उन्होंने विभिन्न सरकारों से पंचेन लामा का पता बताने और धार्मिक मामलों में चीन के हस्तक्षेप को बंद करने की मांग की।