हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में दृष्टिहीनों ने विश्व विकलांग दिवस को ‘काले दिवस’ के रूप में मनाया। दृष्टिहीनों ने छोटा शिमला में राज्य सचिवालय के बाहर प्रदर्शन किया। प्रदेश सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इस दौरान प्रदर्शनकारियों की पुलिस और शिमला के उपमंडलाधिकारी (SDM) के साथ तीखी बहस और हल्की नोकझोंक भी हुई। प्रदर्शनकारियों ने तय जगह से बाहर निकलकर सड़क पर बैठ कर सड़क जाम करने का प्रयास किया। लेकिन पुलिस बल ने उन्हें सड़क पर बैठने से रोक दिया। दृष्टिहीन 26 दिनों से राज्य सचिवालय से कुछ ही दूरी पर कड़ाके की ठंड में धरने पर बैठे हैं। वे पिछले लगभग दो वर्षों (770 दिनों) से प्रदेश सरकार के खिलाफ अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। बैकलॉग कोटे को भरने को लेकर अड़े इन प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांग विभिन्न सरकारी विभागों में दृष्टिहीन कोटे के खाली पड़े बैकलॉग पदों को एकमुश्त भरना है। उनका आरोप है कि लंबे समय से ये पद रिक्त हैं, लेकिन सरकार इनमें भर्तियां नहीं कर रही है। दृष्टिहीन संघ के अध्यक्ष राजेश ठाकुर का कहना है कि सरकार के साथ कई दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन अभी तक कोई सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आया है। उन्होंने बताया कि जब भी वे चक्का जाम करते हैं, तो उन्हें बातचीत के लिए बुलाया जाता है, लेकिन बाद में उनकी मांगों पर कोई कार्रवाई नहीं होती। उन्होंने कहा कि आज भी विकलांग दिवस को काले दिन के रूप में मनाया है। राजेश ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री के पास दिव्यांगों से मिलने तक का समय नहीं है। उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि जबतक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जाती तब तक वह धरने पर डटे रहेंगे।