हिमाचल हाईकोर्ट ने रेप केस में अहम टिप्पणी करते हुए कहा- आरोपी के भी अधिकार होते है, जिनकी रक्षा की जानी चाहिए। इसलिए, झूठे आरोपों की संभावना को खारिज किया जाना चाहिए। जस्टिस विवेक सिंह ठाकुर और जस्टिस सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने कथित रेप पीड़िता द्वारा दायर अपील को खारिज करते हुए कहा- इसमें कोई संदेह नहीं है कि रेप पीड़िता को बहुत कष्ट और अपमान का सामना करना पड़ता है। मगर रेप का झूठा आरोप भी आरोपित को अपमानित और क्षति पहुंचाता है। ऊना के बंगाणा से जुड़े रेप केस में अदालत ने कहा कि, यह ऐसा मामला है जहां पीड़ित महिला ने अपने बयान में धीरे-धीरे सुधार किया, इसलिए यह तय करना मुश्किल है कि उसका कौन सा बयान विश्वसनीय और भरोसेमंद है। ऐसा लगता है कि पीड़िता ने केवल बातों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने की कोशिश की और इस प्रक्रिया में वह सच्चाई से भटक गई। पीड़िता की गवाही का सावधानीपूर्वक विश्लेषण करने पर अदालत को महिला के बयान में बड़ा विरोधाभास, विसंगतियां दिखाई देती हैं। कोर्ट ने अन्य गवाहों के बयान और अभियोजन पक्ष की गवाही को विरोधाभासी, मानते हुए निचली अदालत के फैसले को सही ठहराया। 5 प्वाइंट में समझे क्या था पूरा मामला? 1- पीड़िता ने 24 अप्रैल 2013 को FIR कराई- ऊना के बंगाणा की एक महिला ने 24 अप्रैल 2013 को पुलिस स्टेशन बंगाणा में रेप की शिकायत दी। शिकायत में कहा कि नवंबर 2012 में, करवा चौथ की पूर्व संध्या पर आरोपी सीमा देवी ने उसे अपने घर बुलाया। पीड़िता अपने बच्चों के साथ सीमा देवी के घर गई। शाम को उसके (सीमा) आग्रह पर वहीं रुकी और आरोपी सीमा देवी व उसके दो बच्चों के साथ रसोई में सो गई। 2- पति-पत्नी पर यौन शोषण की साजिश के आरोप- शिकायत में आरोप लगाया कि रात करीब 10 बजे आरोपी ज्ञान चंद रसोई में घुस आया। तब सीमा देवी बाहर चली गई और सीमा ने बाहर से दरवाजा बंद कर दिया। पीड़िता के अनुसार, आरोपी ज्ञान चंद ने उसके साथ रेप किया। पीड़िता ने अपनी शिकायत में कहा कि सीमा देवी और ज्ञान चंद ने मिलकर उसका यौन शोषण करने की साजिश रची। 3- 5 महीने तक डर से शिकायत नहीं कराई- पीड़िता ने शिकायत में कहा- वह डर और अपनी मानसिक स्थिति के कारण ज्ञान चंद के कृत्यों के बारे में किसी को नहीं बता सकी, लेकिन अत्यधिक विवशता के कारण, 18 अप्रैल 2013 को उसने अपने पति और बहन को पूरी कहानी सुनाई। 19 अप्रैल 2013 को पीड़ित महिला अपने पति के साथ पुलिस स्टेशन गई और एसएचओ बंगाणा को एक आवेदन दिया। 24 अप्रैल 2013 को वह अपने पति के साथ ऊना गई और एसपी ऊना को शिकायत दी। 4- पीड़िता की शिकायत पर पति-पत्नी गिरफ्तार- महिला की शिकायत के बाद पुलिस ने 24 अप्रैल 2013 को आरोपी ज्ञान चंद और 23 जून को आरोपी सीमा देवी को गिरफ्तार कर लिया गया। जांच पूरी होने के बाद, पुलिस ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (1) ऊना के पास चार्जशीट दाखिल की। 5- निचली अदालत ने दोनों को बरी किया- अदालत ने आरोपियों के खिलाफ संज्ञान लिया और उनके खिलाफ धारा 376 और 506 आईपीसी के तहत आरोप तय किए गए। अभियोजन पक्ष ने अपना मामला साबित करने के लिए पंद्रह गवाह पेश किए। 25 अप्रैल 2014 को ट्रायल कोर्ट ने दोनों आरोपी पति-पत्नी को बरी कर दिया था। पीड़िता ने हाईकोर्ट में अपील दायर की- इसके बाद, इसके बाद पीड़िता ने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर की, जिसे अब हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया।