हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस को तीन साल बाद फिर से वीरभद्र सिंह की याद आई है। पार्टी समझ गई हैं वीरभद्र की लीगेसी के बगैर काम नहीं चलेगा, क्योंकि सत्तारूढ़ कांग्रेस को दो महीने बाद पंचायत व नगर निकाय और अगले साल दिसंबर में विधानसभा चुनाव में जनता के बीच जाना है। स्टेट की लीडरशिप के साथ-साथ प्रियंका गांधी भी प्रतिमा के अनावरण कार्यक्रम के दौरान छह बार के सीएम वीरभद्र सिंह का गुणगान करना नहीं भूली। प्रियंका ने पार्टी वर्करों से वीरभद्र सिंह और महात्मा गांधी के बताए रास्ते पर चलने की बात कह डाली। उन्होंने कहा- कहा वीरभद्र के कण कण में हिमाचल बसता था। जनता को कभी महसूस नहीं हुआ कि वीरभद्र सिंह मुख्यमंत्री व राजा है। वहीं, कांग्रेस की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी छह-सात सालों से सार्वजनिक कार्यक्रमों से दूरी बनाती रही हैं। मगर वीरभद्र सिंह की प्रतिमा के अनावरण को सोनिया गांधी खुद शिमला पहुंचीं और रिमोट दबाकर प्रतिमा का अनावरण किया। हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी के पॉलिटिकल साइंस के HOD एवं रिटायर प्रोफेसर कमल मनोहर ने बताया कि इसमें कोई दोराहे नहीं कि वीरभद्र सिंह एक मॉस लीडर थे। उनका राजनीतिक कद इतना ज्यादा था कि लोग ताउम्र उन्हें याद रखेंगे। उन्होंने कहा- हिमाचल में मॉस लीडर बहुत कम है। वीरभद्र उनमें से एक थे.. गांधी परिवार ने भी वीरभद्र की लीगेसी पर आस्था जताई गांधी परिवार ने भी वीरभद्र सिंह की लीगेसी पर आस्था जताई है। वीरभद्र, की इसी लीगेसी की वजह से हिमाचल में जब BJP की सरकार थी तो उस दौरान सत्तारूढ़ भाजपा का चार-शून्य से उप चुनाव में सूपड़ा साफ हो गया था। तब मंडी लोकसभा के साथ साथ अर्की, जुब्बल-कोटखाई और फतेहपुर विधानसभा सीट पर उप चुनाव हुए। सत्तारूढ़ बीजेपी एक भी सीट नहीं जीत पाई। तब बीजेपी ने भी खुद माना कि वीरभद्र नाम की लहर में यह हार हुई है। प्रदेश की सियासत को तीन दशक से अधिक समय से देख रहे वरिष्ठ पत्रकार संजीव शर्मा ने कहा कि वीरभद्र के नाम के बगैर कांग्रेस का गुजारा नहीं हो सकता। उन्होंने कहा- इन चार सीटों पर वीरभद्र के नाम पर उप चुनाव जीत चुकी कांग्रेस साल 2021 में वीरभद्र सिंह अर्की से विधायक थे, जबकि मंडी से BJP के सांसद राम स्वरूप शर्मा, जुब्बल कोटखाई से BJP के नरेंद्र बरागटा और फतेहपुर में कांग्रेस के सुजान सिंह पठानिया विधायक थे। इन चारों का 2021 में निधन हो गया था। इस वजह से चारों सीटों पर उप चुनाव हुआ। वीरभद्र के नाम पर मंडी उप चुनाव जीता कांग्रेस के लिए सबसे मुश्किल चुनाव मंडी लोकसभा सीट का माना जा रहा था, क्योंकि बीजेपी के राम स्वरूप शर्मा ने साल 2019 में यह सीट लगभग 4 लाख मतों के अंतर से जीती थी। राम स्वरूप के निधन के बाद कांग्रेस ने वीरभद्र सिंह कार्ड खेलते हुए उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह को मैदान में उतारा और यह सीट बीजेपी से छीनकर अपने ‘पंजे’ में ली। लोकसभा के साथ साथ तीनों विधानसभा सीटों पर भी कांग्रेस की जीत हुई। यह चुनाव वीरभद्र सिंह के नाम पर लड़ा गया था। फिर प्रतिभा को अध्यक्ष बनाकर वीरभद्र कार्ड खेला इसके बाद, कांग्रेस हाईकमान ने प्रतिभा सिंह को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाकर दोबारा ‘वीरभद्र कार्ड’ खेला। दिसंबर 2022 में प्रतिभा सिंह के नेतृत्व में चुनाव लड़ा गया और राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी। राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद वीरभद्र सिंह या उनके समर्थकों की खूब अनदेखी हुई। यह बात अध्यक्ष प्रतिभा सिंह पौने तीन सालों के दौरान कई बार सार्वजनिक तौर पर कही। पहली वीरभद्र की प्रतिमा लगाने की भी टाल-मटोल चलता रहा वीरभद्र सिंह के विरोधी माने जाने सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार रिज पर जब वीरभद्र सिंह की प्रतिमा नहीं लगाई गई। कई टाल-मटोल किए गए। इससे आहत होकर वीरभद्र के बेटे विक्रमादित्य सिंह ने मंत्री पद से इस्तीफा तक दे दिया। बात जब सरकार गिरने पर आई तो हाईकमान ने दो ऑब्जर्वर हिमाचल भेजकर सरकार बचा ली। इसके बाद, ऑब्जर्वर और सीएम ने वीरभद्र की प्रतिमा जल्दी स्थापित करने का भरोसा दिया। अब जाकर वीरभद्र की प्रतिमा स्थापित की गई। प्रतिमा के अनावरण कार्यक्रम के दौरान सीएम सुक्खू ने भी खुद वीरभद्र सिंह की प्रशंसा की। डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने भी खुद को वीरभद्र स्कूल ऑफ थॉट का विद्यार्थी बताया।