विश्वेश्वरैया भी अपनी धुन के पक्के थे। उन्होंने पैदल ही साइट का सर्वे शुरू कर दिया। गर्मी बहुत ज्यादा थी। तपती धूप और उबड़ खाबड़ रास्तों पर गाड़ी नहीं जा सकती थी। 

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